नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में हर चुनाव के बाद राजनीतिक विमर्श में यह प्रश्न राजनीतिक समीक्षकों के बीच उठता है कि अब बसपा का क्या? अब मायावती का अगला कदम क्या होगा? प्रश्न हर बार इसलिए भी अबूझा रहा जाता है, क्योंकि अब बसपा क्या करेगी? इसे लेकर खुद पार्टी प्रमुख मायावती भी उलझन में दिखती हैं।
बेअसर रही मुस्लिमों को रिझाने की चाल
अनुसूचित जाति वर्ग के बलबूते पार्टी खड़ी जरूर हुई, लेकिन अब बसपा का हाथी जातियों के जंजाल में ही छटपटा रहा है। हर चुनाव के बाद रणनीति बदलने वालीं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती बहुजन की रट छोड़ फिर सर्वजन जपने लगीं और लोकसभा चुनाव के बाद मुस्लिमों को आंख दिखाना बेअसर रहा तो फिर उन्हें लुभाने चल पड़ी हैं।