नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी (सोशलिस्ट)और पंथनिरपेक्ष (सेक्यूलर) शब्द जोड़े जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि पंथनिरपेक्षता को हमेशा से संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा माना गया है और सुप्रीम कोर्ट के बहुत से फैसलों में ऐसा कहा जा चुका है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि समाजवाद का मतलब अवसर की समानता और देश की संपत्ति का बराबर बंटवारा भी हो सकता है। हालांकि, कोर्ट ने अभी तक इस मामले में औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है। कोर्ट मामले में 18 नवंबर को फिर सुनवाई करेगा।